लौटने का वहां जहाँ थी मासूमियत,
और था अनजाना, अन्छूआ, बचकाना भरोसा,
जो दूर हो गए उनके हाथ थामने का,
छूटे रिश्तों को फिर गले लगाने का,
जो अपने हो न सके उन्हें अपना बनाने का,
फूलों को देख मुस्कुराने का,
शीशे पे जमी ओस पे दिल खींचने का!
मन को समझाने का कि ये सब मुमकिन है,
मन करता है...
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3 comments:
aww....so nice...i used to draw heart too in winter on car's windshield...
but yes...all these things are possible...
btw, just noticed that u r quite gud poet...it seems my affect ;) lol
Hey Rajul... God gives u what u need not what u want... u will be happy and content again.. thats my belief and prayer... take care... u r precious...
wah! wah! whats happening to you?
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